ग़ज़ल
दो चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए
रहते हमारे पास तो ये टूटते जरूर
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए
चाहा था एक फूल ने तड़पे उसी के पास
हमने खुशी के पाँवों में काँटे चुभा लिए
सुख, जैसे बादलों में नहाती हों बिजलियाँ
दुख, बिजलियों की आग में बादल नहा लिए
जब हो सकी न बात तो हमने यही किया
अपनी गजल के शेर कहीं गुनगुना लिए
अब भी किसी दराज में मिल जाएँगे तुम्हें
वो खत जो तुम्हें दे न सके लिख लिखा लिए।
- कुँअर बेचैन
शुक्रवार, 5 सितंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Birth Anniversary of Bhagat Singh भगत सिंह: ‘मत समझो पूजे जाओगे क्योंकि लड़े थे दुश्मन से!’
वाकया तो खैर 1948 का है यानी 77 साल पुराना, लेकिन इस लिहाज से उल्लेखनीय है कि हमारे आज के सत्ताधीश, जो अब शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की याद और स...
-
नई दिल्ली, 30 मार्च (एजेंसी)। दिल्ली सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी में नर्सरी से कक्षा आठ तक के छात्रों को बिना पर...
-
Kemdrum Yoga: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को जीवन में बहुत अधिक सफलता दे सकते हैं तो वहीं क...
1 टिप्पणी:
nice blog bhai good job keep it up.....from ankush singh
एक टिप्पणी भेजें